रहब़र की राह तकते नयन,
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन I
रति स्वरूप सुन्दर काया,
मनः दशा उनकी माया.
दर्शन-अभिलाषी बस तेरा,
नमन तुम्हे करते नयन I
नयन कभी नही थकते है,
आस लिये नित रहते है,
राहों में रहबर मिल जाये,
खुदा से मन्नत करते है I
इक झलक मेरे दिलबर की मिले,
तब दिल की ये धड़कन भी चले,
आ मिल जा तू इन राहों में,
नयनों से झर-झर नीर बहे I
नीर की हर इक बूँद में,
दिलबर का चेहरा दिख जाता,
दूर बहुत रहबर है लेकिन,
महसूस उन्हे मै कर पाता,
पल-प्रतिपल, इत-उत-चहु ओर,
दर्शन तुम्हरे करते नयन I
रहब़र की राह तकते नयन,
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन II
----- सुरेश कुमार
१०/११/११
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन I
रति स्वरूप सुन्दर काया,
मनः दशा उनकी माया.
दर्शन-अभिलाषी बस तेरा,
नमन तुम्हे करते नयन I
नयन कभी नही थकते है,
आस लिये नित रहते है,
राहों में रहबर मिल जाये,
खुदा से मन्नत करते है I
इक झलक मेरे दिलबर की मिले,
तब दिल की ये धड़कन भी चले,
आ मिल जा तू इन राहों में,
नयनों से झर-झर नीर बहे I
नीर की हर इक बूँद में,
दिलबर का चेहरा दिख जाता,
दूर बहुत रहबर है लेकिन,
महसूस उन्हे मै कर पाता,
पल-प्रतिपल, इत-उत-चहु ओर,
दर्शन तुम्हरे करते नयन I
रहब़र की राह तकते नयन,
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन II
----- सुरेश कुमार
१०/११/११