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Thursday, November 10, 2011

नयन...

रहब़र की राह तकते नयन,
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन I

रति स्वरूप सुन्दर काया,
मनः दशा उनकी माया.
दर्शन-अभिलाषी बस तेरा,
नमन तुम्हे करते नयन I


नयन कभी नही थकते है,
आस लिये नित रहते है,
राहों में रहबर मिल जाये,
खुदा से मन्नत करते है I


इक झलक मेरे दिलबर की मिले,
तब दिल की ये धड़कन भी चले,
आ मिल जा तू इन राहों में,
नयनों से झर-झर नीर बहे I


नीर की हर इक बूँद में,
दिलबर का चेहरा दिख जाता,
दूर बहुत रहबर है लेकिन,
महसूस उन्हे मै कर पाता,
पल-प्रतिपल, इत-उत-चहु ओर,
दर्शन तुम्हरे करते नयन I


रहब़र की राह तकते नयन,
प्रेम-धुन में रमते नयन,
नयनों की भाषा बस वो जाने,
देखन जिनको तरसे नयन II

                                  -----  सुरेश कुमार
                               १०/११/११

5 comments:

S.N SHUKLA said...

बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति , बधाई.



कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .

रेखा said...

बहुत ही सुन्दर और भावनात्मक प्रस्तुति

अभिषेक मिश्र said...

खूबसूरत वापसी. नियमितता बनाये रखना.

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 11-11-2011 को शुक्रवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

SANDEEP PANWAR said...

ख़ूबसूरत प्रस्तुति