दिल-ए-तन्हाइ , तेरी याद आयी,
लम्हो संग अस्क बहे, भीगे परछाई,
सिकवा-ए-ज़िन्दगी हम करे भी तो क्यों,
ज़िन्दगी ने अक्सर, यही राह दिखायी.
मेरी तन्हाइयों की खबर,
लम्हों-लम्हों को है, उनको नही.
उनकी गली से गुज़रता हर लम्हा,
उन्हे देखता है.
हवा का इक-इक झोंका, जो मेरे करीब़
से गुज़रता है,
वफ़ा-ए-इश्क का मेहमां बन,
उनके घर ठहरता है.
बड़ा नादां, बड़ा ज़ालिम है मेरा दिल-ए-पागल,
हुये बेताब़, उनकी चौख़ट पर,
धड़कता है.
रहमत-ए-खुदा, गर हो, उनके ख्वाबों में,
ज़रूर आऊँगा,
अस्क का इक-इक कतरा उनकी यादों पर,
बहाऊँगा,
वफ़ा-ए-इश्क वो समझे या ना समझे,
अब अफ़सोस नही,
अफ़सोस ये है कि, जब तक वो समझेगी,
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा.
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा..................!!!
सुरेश कुमार
२२/१०/११
लम्हो संग अस्क बहे, भीगे परछाई,
सिकवा-ए-ज़िन्दगी हम करे भी तो क्यों,
ज़िन्दगी ने अक्सर, यही राह दिखायी.
मेरी तन्हाइयों की खबर,
लम्हों-लम्हों को है, उनको नही.
उनकी गली से गुज़रता हर लम्हा,
उन्हे देखता है.
हवा का इक-इक झोंका, जो मेरे करीब़
से गुज़रता है,
वफ़ा-ए-इश्क का मेहमां बन,
उनके घर ठहरता है.
बड़ा नादां, बड़ा ज़ालिम है मेरा दिल-ए-पागल,
हुये बेताब़, उनकी चौख़ट पर,
धड़कता है.
रहमत-ए-खुदा, गर हो, उनके ख्वाबों में,
ज़रूर आऊँगा,
अस्क का इक-इक कतरा उनकी यादों पर,
बहाऊँगा,
वफ़ा-ए-इश्क वो समझे या ना समझे,
अब अफ़सोस नही,
अफ़सोस ये है कि, जब तक वो समझेगी,
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा.
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा..................!!!
सुरेश कुमार
२२/१०/११