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Saturday, October 22, 2011

मैं बहुत दूर चला जाऊँगा....

दिल-ए-तन्हाइ , तेरी याद आयी,
लम्हो संग अस्क बहे, भीगे परछाई,
सिकवा-ए-ज़िन्दगी हम करे भी तो क्यों,
ज़िन्दगी ने अक्सर, यही राह दिखायी.


मेरी तन्हाइयों की खबर,
लम्हों-लम्हों को है, उनको नही.
उनकी गली से गुज़रता हर लम्हा,
उन्हे देखता है.
हवा का इक-इक झोंका, जो मेरे करीब़
से गुज़रता है,
वफ़ा-ए-इश्क का मेहमां बन,
उनके घर ठहरता है.
बड़ा नादां, बड़ा ज़ालिम है मेरा दिल-ए-पागल,
हुये बेताब़, उनकी चौख़ट पर,
धड़कता है.


रहमत-ए-खुदा, गर हो, उनके ख्वाबों में,
ज़रूर आऊँगा,
अस्क का इक-इक कतरा उनकी यादों पर,
बहाऊँगा,
वफ़ा-ए-इश्क वो समझे या ना समझे,
अब अफ़सोस नही,
अफ़सोस ये है कि, जब तक वो समझेगी,
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा.
मैं बहुत दूर चला जाऊँगा..................!!!

                                           सुरेश कुमार
                                             २२/१०/११






Tuesday, October 18, 2011

लम्हें... जो हसीन हैं...

वो लम्हे भी खुश्बू-ए-इश्क में,
तब्दील हो जाते है,
तुमसे मिलकर, तुम्हे छूकर,
जो मेरे करीब़ आते हैं.
लम्हों का रूख़, अब बदल गया,
इश्क के रंग, जिस्म-ए-रूह,
पर उड़ाते है.


उनकी ख़्वाइश थी कि,
वो मेरा हमसफ़र बनेंगे,
और हमने सफ़र-ए-जिन्दगी,
उनके नाम कर दी.
इतनी मोहब्बत है उनके दिल में,
कि मत पूछो,
अपनी परछाई भी,
उनका गुलाम कर दी.


जिन्दगी इक चाह है,
जिसका तुम बिन अंत है...
मंजिल-ए-कारवाँ तुम संग मुमकिन है,
तुम संग जिन्दगी, अंतहीन है...

                                           सुरेश कुमार
                                            १८/१०/२०११

Tuesday, October 11, 2011

वरना मै था ही नही....

जिन्दगी का हर
लम्हा तुम्हें सौंप दिया,
बस ये सोचकर कि तुम
मेरी जिन्दगी हो.
जी करता है, वक्त के
अंतिम सांस तक
तुम्हे प्यार करूं,
भू की अंतिम
परिक्रमा से परे
प्यार करता रहूँ.
तुम हो, मैं हूँ,
वरना मै था ही नही.


मेरी ख़ामोशियों का शोर
सिर्फ़ तुमने सुना,
महसूस किया,
दिल की अबोध धड़कन
को धड़कना सिखाया.
बिन तुम्हारे तो मेरा
अस्तित्व ही नहीं,
तुम हो, मैं हूँ,
वरना मै था ही नही.


                          सुरेश कुमार
                            ११/१०/११