वो लम्हे भी खुश्बू-ए-इश्क में,
तब्दील हो जाते है,
तुमसे मिलकर, तुम्हे छूकर,
जो मेरे करीब़ आते हैं.
लम्हों का रूख़, अब बदल गया,
इश्क के रंग, जिस्म-ए-रूह,
पर उड़ाते है.
उनकी ख़्वाइश थी कि,
वो मेरा हमसफ़र बनेंगे,
और हमने सफ़र-ए-जिन्दगी,
उनके नाम कर दी.
इतनी मोहब्बत है उनके दिल में,
कि मत पूछो,
अपनी परछाई भी,
उनका गुलाम कर दी.
जिन्दगी इक चाह है,
जिसका तुम बिन अंत है...
मंजिल-ए-कारवाँ तुम संग मुमकिन है,
तुम संग जिन्दगी, अंतहीन है...
सुरेश कुमार
१८/१०/२०११
तब्दील हो जाते है,
तुमसे मिलकर, तुम्हे छूकर,
जो मेरे करीब़ आते हैं.
लम्हों का रूख़, अब बदल गया,
इश्क के रंग, जिस्म-ए-रूह,
पर उड़ाते है.
उनकी ख़्वाइश थी कि,
वो मेरा हमसफ़र बनेंगे,
और हमने सफ़र-ए-जिन्दगी,
उनके नाम कर दी.
इतनी मोहब्बत है उनके दिल में,
कि मत पूछो,
अपनी परछाई भी,
उनका गुलाम कर दी.
जिन्दगी इक चाह है,
जिसका तुम बिन अंत है...
मंजिल-ए-कारवाँ तुम संग मुमकिन है,
तुम संग जिन्दगी, अंतहीन है...
सुरेश कुमार
१८/१०/२०११
6 comments:
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
बधाई स्वीकारें ||
बहुत ही सुन्दर.....
atisundar prastuti.
खुबसूरत अभिव्यक्ति ...
उनकी ख़्वाइश थी कि,
वो मेरा हमसफ़र बनेंगे,
और हमने सफ़र-ए-जिन्दगी,
उनके नाम कर दी.
Kya baat kahi hai..
BAHUT SUNDAR SHABDO KA CHAYAN
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