जब्ते गम को रिहा करें भी तो कैसे करें |मोहब्बत-ए-आखिरी निशानी ये मेरे यार की है ||
गम का सौदा कर चले, दामन में भर शूल |दूजा भय से देखता, पर रविकर के फूल |पर रविकर के फूल, मूल में याद तुम्हारी |इन यादों में झूल, भूलता विपदा सारी |रविकर रखे सहेज, प्यार की अमित-निशानी |अमित याद का तेज, पलट कर देखो रानी ||Linkdineshkidillagi.blogspot.com
बहुत खूब ....
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3 comments:
जब्ते गम को रिहा
करें भी तो कैसे करें |
मोहब्बत-ए-आखिरी निशानी
ये मेरे यार की है ||
गम का सौदा कर चले, दामन में भर शूल |
दूजा भय से देखता, पर रविकर के फूल |
पर रविकर के फूल, मूल में याद तुम्हारी |
इन यादों में झूल, भूलता विपदा सारी |
रविकर रखे सहेज, प्यार की अमित-निशानी |
अमित याद का तेज, पलट कर देखो रानी ||
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