वो आये हमसे मिलने, तो ये मौसम भी गुनगुनाने लगा,
खुशी का अब कोई ठिकाना नही, भरी महफिल मे ये बताने लगा.
वो आये हमसे मिलने, तो ये मौसम भी गुनगुनाने लगा.
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उनका मुझे अपने गले से लगाना, बहुत अच्छा लगता है,
अपनी सांसो को मेरी सांसों से मिलाना,बहुत अच्छा लगता है,
दिल ने कहा, ऐ वक्त यहीं थम जा, तू क्यों अपनी ही सुनता है.
सिर्फ़ आज मेरी सुन ले, क्यों अपने मन की करता है.
पर ये तो वक्त है, कम्बख्त यूहीं गुजर जाता है..
दिल में ये बीती हुई बस यादें छोड् जाता है..
ये हसीं वक्त भी गुजर जायेगा, ना जाने दिल क्यों घबराने लगा.
वो आये हमसे मिलने, तो ये मौसम भी गुनगुनाने लगा,
खुशी का अब कोई ठिकाना नही, भरी महफिल मे ये बताने लगा.
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2 comments:
ये तो वक्त है, कम्बख्त यूहीं गुजर जाता है..
दिल में ये बीती हुई बस यादें छोड् जाता है..
बिलकुल सही कहा है तुमने, सुरेश. और भी बेहतेरीन लेखन की शुभकामनाएं.
मिश्रा भैया, हौसलाफ़जायी के लिये बहुत शुक्रगुजार हूं..
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