कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
एक अहसास, जिसे लोग प्यार से गले लगाते है,
एक उम्मीद, जिसके भरोसे लोग जिन्दगी बिताते है,
एक विस्वास, जिसे लोग अपने हृदय मे बसाते है,
वो अहसास, वो उम्मीद, वो विस्वास होता क्या है,
कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
जब मै अकेला था, तब अक्सर सोचा करता था,
कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
मेरे इस विचलित मन ने, कई बार मुझे टोका,
मुझसे कहा,
"तुम अकेले हो तो रहो, मुझे किसी का साथ चाहिये",
हाथ है अकेला मेरा, इसमे किसी का हाथ चाहिये,
जो खुश्बू बनकर मेरे मन मे समाये, उसकी मुझे जरूरत है,
जो मेरी जिन्दगी, मेरी उम्मीद, मेरी मोहब्बत है"
मैने अपने इस अबोध मन से कहा,
रे पगले, ये मोहब्बत क्या है, जिसके लिये लोग मिट तक जाते है,
ना रहती है जीवन की लालसा, ना दुख सताते है,
दुख के समन्दर मे, सुख के गोते लगाते है,
और एक दिन उसी समन्दर मे डूब कर, खो जाते है,
मेरे मन अब तू ही मुझे बता,
वो मोहब्बत, वो दुख का समन्दर होता क्या है,
कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
जब मै अकेला था, तब अक्सर सोचा करता था,
कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
मेरा मन क्षण भर के लिये शून्य हो गया,
ऐसा लगा जैसे अंजान से रस्ते पे खो गया.
वहीं रुका और अपने हमनवां को तलाशने लगा,
और मिल गयी जो मोहब्बत, तो बस उसी का हो गया.
फिर मुझसे कहा..
प्यार का दूजा नाम ही विस्वास है,
ये अपनेपन की इक सच्ची आस है.
गैरों के लिये ये कुछ ना हो,
पर अपने लिये बहुत खास है.
वो विस्वास संग मे है,
तभी तो मै दुख के समंदर मे भी सुख के गोते लगाता हूं,
वो सच है जिसे मैने अपनाया है..
उसे मैं अपने आस-पास हर वक्त पाता हूं..
यही वो सच है जो मेरा है और तेरा है,
रे पगले अब ना सोच, तू इतना सोचता क्या है..
जब मै अकेला था, तब अक्सर सोचा करता था,
कि, सच मे ये प्यार होता क्या है.
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By Suresh Kumar
3 comments:
It Was written during my collage day.....
Very nice kavita Suresh..:)
Thank u so much Vijay Shukla Ji..
thanx for encouraging me..
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