कभी खुद् पर हसती है, कभी दुसरो से हसवाती है..
वो वक्त कितना हसीन था जो गुजर गया.
अब सिर्फ़् उस वक्त की याद् सताती है...
ये जिन्दगी भी अजीब मोड् पर लाती है........
हमारा रिस्ता भी अजीब है, यह इक नदी के दो किनारो जैसा है.
जो साथ तो हमेशा रहते है, पर कभी मिल नही सकते..
जो हमेशा इक दूजे को देखते है, पर् कुछ् कह नही सकते..
सिर्फ़् इनके मन की तरंगे ही साथ मे लहराती है...
ये जिन्दगी भी अजीब मोड् पर लाती है..............
कभी ये जिन्दगी कितनी हसीन हुआ करती थी...
बस ये समझ लो, इक पुष्प की तरह खिला करती थी..
वो पुष्प जिसे अपनी महक से बहुत प्यार है..
वो पुष्प जिसे अपने खिलने पर बहुत नाज है...
आज वो पुष्प खिला तो है, पर उसकी महक उसके साथ नही है..
उसे देख कर लगा, कि वो जिन्दा तो है पर उसकी सांसें उसके साथ नही है..
पुष्प की इस हालत पे, अब तो कलियां भी यही बताती है..
ये जिन्दगी भी अजीब मोड् पर लाती है.
कभी खुद् पर हसती है, कभी दुसरो से हसवाती है..
वो वक्त कितना हसीन था जो गुजर गया.
अब सिर्फ़् उस वक्त की याद् सताती है...
ये जिन्दगी भी अजीब मोड् पर लाती है........**************************************
By Suresh Kumar
Geologist
GSI
4 comments:
beautifulyy written Suresh .. mujhe pata nahin toh itne achhe poet bhi ho ... grtt work keep it up !!!
Very good composition.....
Ye jindegi bhi logo se kya kya likhwata hai......
jindagi jis mod bhi laye aur jo bhi de use haste hue lelo, then u will be happiest man of universe......:)
Thank U all Dear...
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