तू जला, जला और संपूर्ण रूप से जल जायेगा,
गर अहंकार ने तेरी तरफ़ घूर कर देखा.
तेरा अस्तित्व मिटा, मिटा, और मिट जायेगा,गर अहंकार ने तेरी तरफ़ घूर कर देखा.
गर क्रोध ने तेरे घर, पनाह लिया.
तेरी उम्मीदें घुट-घुट कर मरी, मरी, और मर जायेंगी,
गर कुसोच पर तूने, अमल किया.
तेरे दिल में त्राहिमान त्राहिमान मच जायेगा,
ये तूने क्या किया ? ये तूने क्यों किया ?
तेरी किस्मत की टहनियां टूटी,टूटी, और टूट जायेंगी,
गर मेहनत ने तेरा दामन छोड़ दिया.
मानवता तुझसे रूठी,रूठी और रूठ जायेगी,
गर तूने घृणा को स्वीकार लिया.
जीवन सुख तूने खोया, खोया और खो देगा,
गर मात-पिता का बहिस्कार किया.
तेरे दिल में त्राहिमान त्राहिमान मच जायेगा,
ये तूने क्या किया ? ये तूने क्यों किया ?
तेरा मन अपंग हुआ,हुआ और हो जायेग,
गर लालच ने तुझे, चहुओर घेर लिया.
सोचता क्या है, ये जीवन, तूने खुद निरर्थक बना दिया.
जिन्दगी हमेशा तेरा साथ देना चाहती थी..
तूने ही इसका साथ नहीं दिया, नहीं दिया.
- सुरेश कुमार
०४/०८/२०११
7 comments:
बहुत सटीक और सार्थक रचना, शुभकामनाएं.
तेरी किस्मत की टहनियां टूटी,टूटी, और टूट जायेंगी
गर मेहनत ने तेरा दामन छोड़ दिया.
मानवता तुझसे रूठी,रूठी और रूठ जायेगी,
गर तूने घृणा को स्वीकार लिया.
बहुत सुन्दरता से अपने जीवन जीने की कला को अभिव्यक्त किया है .....सच में अगर हम जीवन की आवश्यकताओं के विपरीत चलते हैं तो हमारा जीवन बदल जाता है ....प्रेम की जगह अगर हम घृणा करते हैं तो हमें कहाँ प्रेम मिलेगा .....आपने बहुत गहराई से हर भाव पर प्रकाश डाला है .....आपका आभार
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द दिल को छू गई! उम्दा प्रस्तुती!
jivan ke bhaavo ko bhaut hi khubsurati se prstut kiya hai apne....
@Dr. Jenni Shabanam Ji
@ Kewal Ram Ji
@ Babli Ji
@ Sagar Ji
bahut accha lagata hai jab aap jaise lo utsaahwardhan karate hai.
dhanyawad..
सुरेश जी
क्या बात है …
जीवन सुख तूने खोया, खोया और खो देगा, गर मात-पिता का बहिष्कार किया.
तेरे दिल में त्राहिमाम त्राहिमाम मच जायेगा,
ये तूने क्या किया ? ये तूने क्यों किया ?
और श्रेष्ठ सृजन के लिए शुभकामनाएं हैं …
-राजेन्द्र स्वर्णकार
@ Shri Chandra Bhushan Ji
@ Sri Rajendra Ji
Hausalafazai ke liye shukraguzar hoon...
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