धुंधली काली रातों में,
अन्जान सख्श़ को देखा..
हाथ में उसके खंज़र था,
और मृत्यु की रेखा.
वो जिज्ञासु, मृत्यु का,
उसकी अभिलाषा बाहुल्य.
पूर्णपदी वो जीव-हरण का,
कालपुरुष समतुल्य.
मृत्युवंश का वो शासक,
जीवन सम्पादित करता था.
सर्व भुजायें खुली हुई,
जीवन आगोश में भरता था.
इत्र-उत्र-सर्वत्र,
जाने वो किसको ढूंढ रहा.
मृत्यु-नृत्य करने वाला,
जाने वो किसको घूर रहा.
वह कालपुरुष अंधियारे मे,
जीव शून्य करने आया.
उस मृत्युप्रिय का पता नही,
किस-किस को हरने आया.
वह जीव-हरण में निपुण,दक्ष,
कालचक्र दौड़ाता था.
जीवन-पथ पर खड़ा हुआ,
मृत्यु मार्ग दिखलाता था.
सुरेश कुमार
११/०८/२०११
15 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति भावों की ..
बधाई एवं शुभकामनायें.
वह जीव-हरण में निपुण,दक्ष,
कालचक्र दौड़ाता था.
जीवन-पथ पर खड़ा हुआ,
मृत्यु मार्ग दिखलाता था.
सुन्दर अभिव्यक्ति .
बहुत ही सुन्दर अभिवयक्ति....
गहरे संवेदनशील भाव.....
सुंदर अभिव्यक्ति
‘ब्लॉगर्स मीट वीकली 3‘
बहुत सुन्दर, शानदार और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
@ Shri S.N.Shukla Ji
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@ Dr. Anwer Jamal ji
@ Babli Ji..
aap sabhi ka dil shukriya ada karata hu...aap logo ki pratikriya mujhe utsahit karati hai...dhanyawad..
बहुत अच्छी रचना है!
शुभकामनाएँ!
nice poem
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएँ!
rachna men sunadr bhaav hain.
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएँ.....सुन्दर अभिव्यक्ति.....
वह कालपुरुष अंधियारे मे,
जीव शून्य करने आया.
उस मृत्युप्रिय का पता नही,
किस-किस को हरने आया.
लेकिन अंततः सभी को वहीँ ही जाना है ......इसी काल पुरुष के पास .....गहन भावों का सम्प्रेषण .......!
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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ek sashakt rachna ke liye badhai..
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