अपने इस पागल मन के इर्द-गिर्द, आग लगा दी मैने,
पर अफ़सोस नहीं करता,
उसकी रोशनी, मेरे मन के अंधेरों को चीरती है.अपनी प्यासी रूह को, बंजर में द़फ़ना दिया मैने,
पर अफ़सोस नही करता,
मौसम-ए-बारिश की खुश्बू, इस रूह को सुकूं देती है.
समंदर तुझे, स्वयं को समर्पित कर दिया मैने.
पर अफ़सोस नहीं करता,
तेरी हर एक बूँद पीने की, मुझमे ख्वाइश जो है.
ये काल चक्र मुझे अपने संग ले जयेगा, पता है,
पर अफ़सोस नहीं करता,
अपने हर लम्हे को जिंदादिली से जीता जो हूँवक्त मैं तेरे आगोश में जीता और मरता,
गर कहीं गिरता, खुद सम्भलने की हिम्मत करता,
जिन्दगी तेरा मोल पता है मुझको,
अतः मैं अफ़सोस नही करता, मैं अफ़सोस नही करता.
- सुरेश कुमार
३१/०७/२०११
18 comments:
good
वाकई जिंदगी अफ़सोस के लिए है भी नहीं.
समंदर 'तुझमें' होना शायद और बेहतर होता.
जो हो गया सो हो गया, जो होना है सो होगा, अफ़सोस क्या करना?
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर रचना...
@ Shri Chandra Bhushan ji
@ Abhishek Bhaiya
@ Shri Manoj Ji
@ Shri S.N.Shukla Ji
@ Sushama Ji
Aap sabhi ko koti-koti dhanyawad mera utsahwardhan karane ke liye..
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक- 08-08-2011 सोमवार के चर्चा मंच पर भी होगी, सूचनार्थ
अपनी प्यासी रूह को, बंजर में द़फ़ना दिया मैने,
पर अफ़सोस नही करता,
मौसम-ए-बारिश की खुश्बू, इस रूह को सुकूं देती है.
antarman ka udbodhan shabd ban pravahit hota hua.....sundar parikalpana ,shubhkamnayen ji /
bahut sundar prastuti....wah!
achchi bhaavabhivyakti.pahli baar aai hoon apke blog par aapko bhi apne blog par aamantrit karti hoon.
बहुत ही सुन्दर रचना...
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
sundar rachna...
सुन्दर अभिव्यक्ति....
शुभकामनाएं....
सुन्दर अभिव्यक्ति
wah bhut hi aakrose bhari saarthak bhav liye bahut hi shaandaar rachanaa.badhaai aapko.
"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत अच्छा लिखा है आपने ....
सही कहा, उससे होता भी क्या है।
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ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?
zindagi mein gar gum v ho, gar aankhaien num v ho, main afsos nahi karta......tarif-e-kabil
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